Akhilandeshwari "Sa" Slokam



Picture Source: kamakoti.org
This slokam was given to me by my grandmother, Smt. R. Bhagyalakshmi. I think this slokam was composed by Sri Adi Shankaracharya (please let me know if I am mistaken).

I have given below the slokam and whatever else my grandmother had written about this slokam.

"ஸ்ரீ அகிலாண்டேஸ்வரி ஸ்லோகம் ஐம்பத்தொரு (51) அக்ஷரம் கொண்டது. அதில் இந்த “ஸ” அக்ஷரத்தில் தொடங்கும் ஸ்லோகம் தாயிடம் வேண்டிக் கேட்டுப் பெறுவதற்கானது ஆகும். உண்மையுடன், அன்புடன் தினமும் அவளை நினைத்து மனதில் உருவகம் கொண்டு நினைத்தபோதெல்லாம் நினைத்த இடங்களிலெல்லாம் அந்த தாயிடம் கூறு. கை மேல் பலன் கிடைக்கும்."

Slokam:

ஸர்வாபீஷ்ட பலப்ரதே ஸுமதிபி: ஸம்சேவிதே ஸாத்விகே!
ஸர்வாலங்கரணே ஸதா சிவமயே ஸம்பத்கரே ஸாக்ஷிணீ
ஸாதிஸ்த்தே ஸரஸீருஹாக்ஷியுகளே ஸங்கட்ட வக்ஷோருஹே
ஸாக்ஷாத்காரிணீ ஸர்வலோக வரதே வந்தே அகிலாண்டேஸ்வரி

sarvAbhIshta phalapradey sumatibhi: samsevithe sAthvike
sarvAlankaraNe sadA shivamaye sampathkare sAkshiNI
sAthisthey saraseeruhAkshiyugale sangatta vakshoruhe
sAkshAtkAriNee sarvaloka varade vande akilAndeswari

14 comments:

  1. Hello Sir,
    Thank you for posting this. The shlokam is beautiful. 3rd line looks little different - could correct and make out Saraseeruhaakshi yugale, but saathisthey and sankata-vakshoruhe does not make sense. Could you please check this one more time. Thank you very much.

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    1. Namaskaram,

      Thank you so much for pointing out the typos. They have been corrected. But the sAthisthey part is as given in the Tamil book. Since I do not have the Sanskrit version of this stotra mala, I am hesitant to make the correction. If you do have, please let me know if it is sAdhishThey or something else.

      Hari Aum!
      Nandini

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  2. Wonderful slokam.. do you have any audio version of the above slokam?if any please send me padma.cs.be@gmail.com

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    1. Namaskaram. This sloka is from Akhilandeshwari Pushpa Mala. Sorry, I do not have the audio version of the sloka. Will share if I come across that somewhere.

      Hari Aum!

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  3. Replies
    1. If someone has the sanskrit version of full AKSHARAMALIKA, kindly let me know. I need a copy of that.

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  4. सर्वाभीष्ट फल प्रधे, सुमथिभि संसेविथे सथ्विगे,
    सर्वलन्करणे सदा शिव मये संपातः करे साक्षिणी,
    सधिस्थे सरसीर्हक्षि युगले संगत्त वक्षो रहे,
    सक्षतः कारिणी सर्व लोक वरदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 50
    This is Akilandeswari Pushpamala contains 54 slokas, author not known

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  5. अद्वथिपाथे, अलन्कृथ शिवे, अन्त्हर ततः परेधपरे,
    अध्यथे अमलसये अथिदये अर्देण्डु भूशोज्ज्वले,
    अद्यक्षे अमरन्गणा परिवृथे,अद्यथ्म विध्यमये,
    अव्यक्थे, अचलाधि राज थानये, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 1
    आत्मने, आगम संप्रदाय निपुणे, आचार्य वर्यर्चिथे,
    आधरथि सरोज पीत निलये, आलोल नीलालके,
    आत्हंरधर चारु मन्द हसिथे, आभीनवक्षोरुहे,
    आब्रमच्युथ संकरचिथपाथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 2

    इच ज्ञान समास्थ सक्थि सहिथे, इन्दीवर श्यमले,
    इन्द्रोपेन्द्र वर प्रधे, इभवनधिसे, इनारदिथे,
    इज्ये इन्दु निपथाथे, इभनुथे, इष्टार्थ सिधि प्रधे,
    इन्द्राणी नमिथे, इभानना सुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 3

    ईशे ईस विरिञ्चि चोव्रि वर्धे, ईद्यसि ईसथ्मिके,
    ईर्ष्या धूषिथ चिथ धूर चरणे, ईस प्रिये एअस्वरि,
    ईद्ये ईस्वर वाम भागे निलये, ईन्गर क्लुप्थोधये,
    एसिथ्वधि महा विभूथि निलये, वन्दे ऎइलन्देस्वरि . 4

    उद्यतः बनु सहस्र कोटि किरणे, उर्वीदरेन्द्रथ्मजे,
    उथ्फुल्लभुजा लोचने, उभय कव्र्येन्दरलस्रये,
    उद्यतः चन्द्र निभथाथे, उर्थरे, उचसाथे, उज्ज्वले,
    उधमद्य्थि पुञ्ज मञ्जुल धरे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि 5

    ऊहापोह विवेक बाह्य निलये, ऊनद्रुक धोज्ज्वले,
    ओर्जस्वन् मणि मेखला विलसाथे, ओर्रि कृथर्थ प्रिये,
    ओर्ध्व थोध्भव योग मूल निलये, ऊष्मा बहरोज्ज्वले,
    ऊथ क्षीर सुधथ्रुधा त्रिभुवने, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 6

    रुक् वेदथि निषेविथे रुथुनाथे रुधनुकंभावहे,
    रुध मोध मुखेप्स्थे, रुथुनाथे, रुक्शौक संसेविथे,
    रुक्षदीस कलन्विधे, रुनथामो बस्वथ् पदंबोरुहे,
    रुद्ध्य पूरित विष्ट पथ्रनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 7

    रूप रूप सदा शिवन्त्हर गथे, रूपे सदा रूपिणी,
    रोप्पथीध पर परार्थ निलये रुदभ्र रुदथ्मिके,
    नृणां जन्मजर पहर निलये, नृध्रण कल्प धर्मे,
    नृणां पाप विमोचनाध्य फलधे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 8

    क्लुप्थ सेष जगन महेस नीले, क्लुप्थङ्ग रगोज्ज्वले,
    क्लुप्थ क्लुप्थ विसङ्ग्यमर विलसन्मन्भवली रन्जिथे,
    लिङ्गरधन थाथ्परे, लिकुचरजतः पाणि पन्गेरुहे,
    क्लुथ कल्प मनो हन्गर थिलके, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 9

    लूधथीस गजेन्द्र पूजिथ पथे लूक हिदेसन्विथे,
    क्लीन्गरन्किथ बिन्दु पीत निलये क्लीम्कर रुपेथिथे,
    लूथ हन्थु जदि कृधेस निलये लूनाहि वल्लीत्हवे,
    लूतक्ष्मपथि मुक्थि दथ्रुमहिवे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 10

    येके, येका महाम्बुरसि निलये, येकन्थ क्लुप्थोथये,
    येकनेकथाय विबक्था भुवने, येका थप्थ्रोज्ज्वले,
    येनि चारु विलोल लोचन पुके, येकवली भूषणे,
    येत्हद ठथ्व मयानि मथि वरदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 11

    इय्न्गरणै मध्यपीद निलये इय्न्द्रथि लोक परथे,
    ईरवद्युपमन देह लथिके, इय्न्द्रथि सक्थिदीथे,
    इय्न्गरक्षा वेद वेद्य विभवे, इय्स्वर्य दाने क्षणे,
    इय्मै मिथ्यनुसन्दधन भुवने, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 12

    ॐ ओमिथ्येग पदवलेदिथप्थे, ओजो विसेशन्विथे,
    ओष्टदविथ बिम्ब विद्रुमलाथे, ओगथ्रयरदिथे,
    ओगैर अप्सरसं सदा वरिवृथे, ओदखिलर्थधिये,
    ओजोरजिथ वग विभूथि विनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 13

    ओउचीरधि सुगन्धि शोभन चरे, औथ्पथि जल प्रिये,
    ओउदसिन्य विभिन्न दैथ्य विभवे, औपदिकेपद्विथे,
    उदर्यकर पद पन्कजयुगे, ओउपम्य हीनने,
    उमकन्दपथ प्रदथिहपदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 14

    अम्बोजसन मुख्य सेविथपाथे, अम्बोधर श्यमले,
    अङ्ग कल्पिथ रथन बूषन साथे, अन्दोउग संसेविथे,
    अम्बवकसथाय विबक्था भुवने, अम्बोरु हन्ग्रिद्वये,
    अह्नयन्त्हक सूधन प्रियथामे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 15

    अस्थाके अवनंर देव निवहे अस्थोग भग्योधये,
    अर्थदिक्य मनोहरे असवजे अश्तक्षरैर अर्चिथे,
    अर्कथीथ मनोज्ञा भूषण साथे, अक्षीण सोव्भह्यधे,
    अर्कंबोरुहा वैरी वह्नि नयने, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 16

    कावेरी पुलिनलये कमल्जे कमारी वमलये,
    करुन्यंरुथ लोचने, कविनुथे, कन्धर्प कनथि प्रधे,
    कल्याणि क्षिथिलोक कल्प लथिके, कारुण्य वरन्विथे,
    कलबोधर कर्म कुण्डल धरे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 17

    कर्वदे, कग केथननु जवरे, गद्वन्ग पाणि स्थुथे,
    गर्व अगर्व विवर्जिथे कग मयुगररिधिथे गद्गिनी,
    कद्योधेस वर प्रधे कच नुथे कद्योध कोदि प्रभे,
    गन्दोद उज्ज्वल शेकरे कगचरे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 18

    गन्गवर्थसमा ननभि कुहरे गन्दोज्ज्वथ् कुण्डले,
    गन्धर्वासुर सिधा किन्नर नुथे गन्दोथाम लेपिथे,
    गम्बीरंरुथ सिन्दु मध्य निलये, गम्बीर्य दैर्यधिके,
    गन्गोथुङ्ग थारङ्ग शेकरयुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 19

    गीथनन्द मये गिरीसनमिथे, गीथप्रियरदिथे,
    गीथोल्लसिनि गीयमान चार्थे, गीर्णथ संसेविथे,
    गीष्पद्मवरदे गिर्रेन्द्र निलये गीर्वाण बृन्दन्चिथे,
    गीथे गीथा मनोहरे गिरि सुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 20(Contd)

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  6. गुप्थे गुप्थ थारे गुहेस वरदे कुचोज्ज्वलन् मल्लिगे,
    गुयचरगथे गुरुस्थानापरे गुचर्थ हरोज्ज्वले,
    गुल्पस्थे गुण मन्धिरे गुरुवारे गुलपोल्लसन्नुपुरे,
    गूदर्थन्थ कथे गुरुथमनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 21

    गण्ड गोर निनाद गदिथ नहो दैःये, गण श्यमले,
    कर्मकर्म मयूक वह्नि नयने, कर्म प्रसन्थि प्रधे,
    गोर गोर विगोष दानव गनप्रोतः दृष्टि गोररवे,
    ग़ोरगोव्क निवारणे, गण नियीं, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 22

    चधुर वर्ग्य फल प्रधे, सुचरिथे, चामुण्डी, रुपोथारे,
    चक्रदिष्टिथ पद पद्म चथुरे, चद्रनने, चण्डिके,
    चन्द्रोपेन्द्र चरचरथ्मक जगत रूपे, चलद कुण्डले .
    चञ्चल लोचन वन्चिथेस्वर शिवे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 23

    चिथ्रग्नस्मिथ चन्द्रिकथवलिथे, चयेस्वरथ् योधिथे,
    चन्धोन्धोलिथ भूषन्गिथ काले, चन्द्रस्रियलन्गृथे,
    चयधीस धन्जयेण्डु नयने, चन्नन्दकररुणे,
    चन्दोब्रुण्ड महासुकन्थि निलये, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 24

    जम्बुमूलनिधे, जनर्धननुथे, जम्बरि संभविथे,
    जम्बु द्वीप मनोज्ञा कल्प लथिके,जह्न्वथ्मज शेखरे,
    जन्म व्याधि जर्बहे, जलंयेजमूनदलन्कृथे,
    ज्ञम्बूनध मनोहरे, जबनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 25

    जन्ज्जवाद थारङ्गिथ प्रविमल स्रिनिर्ज्जरप्लविथे,
    जन्गरी कृथा षड्पथलकभरे जदिथ्य बुधि प्रधे,
    जर्ज्जरव भूषणे जलजालान मन्जीर पदंबुजे,
    जल्ली मथन जर्ज्ज स्वननुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 26

    ज्ञानानन्द महा समुध्र थारणे, जञात्ह्म रूपमारे,
    ज्ननज्ञेयमये थ्वदन्ग्रि भजथं ज्ननब्रे थेय ज्ञानिनां,
    ज्ञान ज्ञान मया स्वरूपिनि, सिव ज्ञान प्रकास परथे,
    ज्नथी क्षेत्र कलथ्र धन्य धनधे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 27

    तन्गध्युथ भूशनोज्ज्वलकरे, दवेक्ष्य मनानने,
    दिम्बेक्ष्णग्रिथ दन्गृथासुरा चरे दोलदि देसस्मिथे,
    दिम्बकरथ्य सुभलिथ जने, दक्करवोतः घोषिथे,
    दन्नन्देथि जदि क्वनधि महिथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 28

    ठथ्वर्थ प्रथि पद्यमाना चरणे, थथ्वथ्रयोधीपिके,
    ठथ्वदीथपथे, थापोदननुथे, थारेस चूदमने,
    थारुन्यंरुथ सिन्धु मध्य लथिके, दर्क्ष्यतः विजरधिथे,
    थापिञ्जस्थ भगथ्युथे थानुलाथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 29

    स्थाणु प्रेमनिधे स्थीथीस महिथे, स्थैर्य स्थिथे स्तबिके,
    स्थान स्थान कृथर्थ देहि निवःअस्थिद्यन्थ सर्गोधये,
    स्थानधिक्य मनोहरे स्थिर थारस्थान्वन्द्रल् अस्रये,
    स्थूल गोचर दर्शने, स्थिथिमये, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 30

    दक्षचर वर प्रधे धमयुथे दक्षे दयन्गूरिथे,
    दन्थे दृष्ट्रुम नोहरतः विजवरे दथवलरधिथे,
    दान दानविधन सोथनापरे दथ्रुस्व रूपपरे,
    दैथ्यतः यथ्मीग थापा हरि चरणे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 31

    दिव्य ज्ञान मये दिवाकर निभे दिव्यमरलुन्कृथे,
    दिव्य स्त्री जन सेविथे द्विज मये दीक्षा प्रदनोथ्पदे,
    दीप्थे दीप्थ ससन्खा वह्नि नयने देनाधि मुक्थिप्रधे,
    दिग् बलाधि दिगंबरर्चिथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 32

    दुर बिक्शाधि समास्थ दुख हरणे, दुषेल थापा पाहे,
    दुर्गतः यवृथि देवदर्चिथपाथे, दुर्वन्गुर श्यमले,
    दुर लक्ष्यगम सिधा धूर चार्थे, दुर्गथु वस्यपरे,
    दुर्वसधि मुनीस्वर स्थुथि पदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 33

    धर्मिष्टे धरणी धरेन्द्र थानये धर धरोपथ्यतः प्रभे,
    धमिल्लन्चिथ मल्लिकधि कुसुमे, धर्मधि संसेविथे,
    धर्मथ्यर्तः चथुष्तय स्थिथिपहे धमथ्रयरदिथे,
    धन्ये धार्मिक चिथ नित्य निलये, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 34

    नाना रथन विभूषणे, नव गण श्यामे, नतेस प्रिये,
    नक्षत्रसथारे नागेन्द्र निलये नगरी वहनुजे,
    नाना देव वरूथे नर ओथाम नुथे, नाधे न्र्मुक्थिप्रधे,
    णगौ कोकन नंयमन्न चरणे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 35

    नीहार चल कन्यके, निगमके निथ्यथ्मिके निर्मले,
    निस्सेशन्द सुमथ्रुके, निसि सररध्ये, निधि संगिन्चिथे,
    निभरण्य निवास नित्य रसिके निर निध्र पद्येक्षणे ,
    निस्सोककृथिके, निरन्चपाथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 36

    पद्मे पद्म निभनने प्रधरे पद्मर्चिथङ्ग्रि ध्वये,
    पद्मस्थे परधा नवरी विनुथे, पद्मसनरधिथे,
    पद्मस्ये, पर लोके साधन परे, पञ्चक्षरलन्कृथे,
    पक्ष पक्ष विवर्जिथे, पर शिवे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 37

    फुल्लं भोजथलेक्ष्णेण्डु विकृथनिक ब्रःमनने,
    फोथ्गराहि फन दरेन्द्र रमणी नृथन्थलस्थिथे,
    स्पयतः पन्दिथ सूक्थि मर्म विभवे, स्फदिक्य थेजो मया,
    स्फूर्जथ्कन्थि मये, फनीन्द्रवरदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 38

    बले बल पराक्रमे बहु विधे बल प्रवाल धरे,
    बलदिथ्य समा प्रभे बहुनुथे बालेन्दु भूशज्ज्वले,
    बन्दुकरुणा विग्रहे बहु विध ब्रह्माण्ड बन्दो धरि,
    ब्रह्म अगस्थ्य सुरेन्द्र वन्दिथ पदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 39

    भवथीथ पद प्रवर्थिन गुणे, बषे भवरधिथे,
    भवध्ये भव रोग बन्जनकरे, भद्रे, भयचेदिनि,
    भङ्ग्ये भग्यवदुध मेद्यचरणे, भागीरथ्य सथ्विधे,
    अस्वचन्द्र विलोचनर्चिदपदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 40
    =)(

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  7. मये मन्मथ सेविथे मरगथ श्यामे मनोग्नमले,
    मया मोह विवर्जिथे, मणिमय कल्पे, महा मञ्जुले,
    मयथीथ महा मुनीन्द्र वरदे, मनिख्य केयुरके,
    मल अलङ्करणे मदन्ग थानये, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 41

    मिथाग्नीण्डु विलोचने, मिहिरभे मीनोल्लस लोचने,
    मिथ्या ज्ञान मनोथि धूरचरणे मीनथ्व जरथिथे,
    मीम्साथि सस्थ्र महिथे, मृष्टान्न धनोध्यमे,
    मिथ्रोतः भसिनि मित्र वह्नि विनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 42

    मुक्थे, मुक्था ससङ्का सेकर यूथे मूलक मर्गोधये,
    मुक्थे मूषिक वाहनार्चिथापरे, मूर्थ्य थ्रयरधिथे,
    मूलधरग्ने मुखभ्ज विलसन मुक्था समिथे, मुक्थिथे,
    मुध्र मोधिथ मनसे, मुनिनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 43

    यज्ञे यज्ञ बलप्रधे यमनुथे यक्शेस्वररधिथे,
    यक्ष्मग्ने यम सूधन प्रिय थमे यग्नेस संपूजिथे,
    यन्थ्रस्थे यथि पूजिथे यथि कृथा श्री चक्र भूशोज्ज्वले,
    यक्षिन्यथि समास्थ शक्थि विनुथे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 44

    रमे राम वर प्रधे रस काले राजीव पथ्रर्चिथे,
    रकचन्द्र निभे रमर्चिथपाथे, रजथि राजनने,
    रम्ये राजथ शैल शृङ्ग निलये, रथ्यप्थ पथ्यनुथे,
    राग द्वेश विहीन चिथ सुलभे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 45

    लवन्यंभुनिधे, ललत नयने, लभोधररधिथे,
    लक्ष रन्चिथ पद पद्म युगले, लम्बलगोतः बसिथे,
    लङ्केचरिनुथे लयोथ्भवकरे लक्ष्मिपथ्हेद्य प्रिये,
    लक्ष्य लक्ष्य मोग्नमध्यलथिके, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 46

    वाच्ये वृज लोचनर्पिथे वाक् देवधरथिधे,
    वमध्ये वर सैल राज थानये वमधि शक्थ्यथ्मिके,
    वस्य आक्कर्षण सिधि मूल गुलिके वधिथ्र नाध प्रिये,
    वनि वल्लभा वज्र पाणि वर्धे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 47

    संथे शंकर वल्लभे ससि यूथे सथोधरि श्यमले,
    संख हीन विशोकाथे साथ महारध्ये ससङ्ग अनने,
    शक्थे शक्थि धर अर्चिथे समधनाधि च अर्चिथे, सार्धे,
    सैवधयगम पारगे, समाधाने, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 48

    षड चक्रन्ध गथे, शदक्षर मये,षड थ्रिम्स थथ्वथ्मिके,
    षड पद्मन्थपुरे, षडानना नुथे, षड कोन संभविथे,
    षड वक्त्र द्विभ वक्त्र राम वरदे, षड ग्रन्थि वन्ध्यथ्मिके,
    षड शक्थि प्रभवथ्मन प्रियथामे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 49

    सर्वाभीष्ट फल प्रधे, सुमथिभि संसेविथे सथ्विगे,
    सर्वलन्करणे सदा शिव मये संपातः करे साक्षिणी,
    सधिस्थे सरसीर्हक्षि युगले संगत्त वक्षो रहे,
    सक्षतः कारिणी सर्व लोक वरदे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 50

    हह कर रवि स्थ्रिभि स्थुथपाथे, हरभिरमे अस्मे,
    हंसोल्लसिथ रम्य विस्व विभवे हंभ्हेज मूलन्गुरे,
    हस्थे हस्थि वनलये, हरिहर ब्रह्मेन्द्र वन्ध्येस्वरि,
    हंसधीथ पथे, हकार चार्थे, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 51

    लम्भीजे, लकुले, लथंरुथ नोलन्गर संपूजिथे,
    लम्भीजेन सुलक्षिथेद्य विभवे, क्लेम्कर रूपन्विथे,
    लङ्थे हन्धक्करेज्वध्स मुधिथे,थ्रस्थान सुरन्वीक्ष्य ततः,
    लङ्थे केविनयसधीक महिले, वन्दे ऎहिलन्देस्वरि . 52

    क्षोनीसग्रिय पथिक लक्षण विधि क्षेप प्रमाणे, क्षणे,
    क्षिप्रदक्षिण कुक्षि सिक्षनमन क्षेथ्रग्न संरक्षिनी,
    थ्रयक्षलक्ष्य थिथिक्शुथक्शथमथ क्षन्दन्थ संवीक्षणे,
    क्षन्धव्यं क्षिथि बृथा सुथे स्थुथिवास क्षुध्रं मधीयं शिवे . 53

    इथि गिरिवर पुत्री पद राजीव भूषा,
    भुवन ममलयन्थि सूक्थि सोउरभ्य सरै,
    शिव पद मकरन्थ स्यन्धनी मन्निधन,
    मदयथु कलि ब्रुन्गान मथ्रुक पुष्प माल. 54

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  8. वाणीं जितशुकवाणीमलिकुलवेणीं भवाम्बुधिद्रोणीम् ।
    वीणाशुकशिशुपाणीं नतगीर्वाणीं नमामि शर्वाणीम् ॥ 1॥

    வாணீம் ஜித சுகவாணீம் அளிகுல வேணீம் பவாம்புதித்ரோணீம் |
    வீணா சுக சிசுபாணீம் நத கீர்வாணீம் நமாமி சர்வாணீம் ||1||

    कुवलयदलनीलाङ्गीं कुवलयरक्षैकदीक्षितापाङ्गीम् ।
    लोचनविजितकुरङ्गीं मातङ्गीं नौमि शङ्करार्धाङ्गीम् ॥ 2॥

    குவலய தளநீலாங்கீம் குவலய ரக்ஷைக தீக்ஷிதா பாங்கீம் ||
    லோசன விஜித குரங்கீம் மாதங்கீம் நௌமி சங்கரார்தாங்கீம் ||2||

    कमलाकमलजकान्ताकरसारसदत्तकान्तकरकमलाम् ।
    करयुगलविधृतकमलां विमलां कमलाङ्कचूडसकलकलाम् ॥ 3॥

    கமலா கமலஜ காந்தா கரஸாரஸதத்த காந்த கரகமலாம் |
    கரயுகல வித்ருத கமலாம் விமலாம் கமலாங்க சூட ஸகலகலாம் ||3||

    सुन्दरहिमकरवदनां कुन्दसुरदनां मुकुन्दनिधिसदनाम् ।
    करुणोज्जीवितमदनां सुरकुशलायाऽसुरेषुकृतकदनाम् ॥ 4॥

    ஸுந்தர ஹிமகர வதநாம் குந்த ஸுரதநாம் முகுந்த நிதி ஸதநாம் |
    கருணோஜ்ஜீவித மதநாம் ஸுர குசலாயா ஸுரேஷு க்ருத கதநாம் ||4||

    तुङ्गस्तनजितकुम्भां कृतपरिरम्भांशिवेन गुहडिम्भाम् ।
    दारितशुम्भनिशुम्भां नर्तितरम्भां पुरो विगतदम्भाम् ॥ 5॥

    துங்க ஸ்தன ஜித கும்பாம் க்ருத பரிரம்பாம் சிவேந குஹ டிம்பாம் |
    தாரித சும்ப நிசும்பாம் நர்தித ரம்பாம் புரோ விகததம்பாம் ||5||

    अरुणाधरजितबिम्बां जगदम्बां गमनविजितकादम्बाम् ।
    पालितसुजनकदम्बां पृथुलनितम्बां भजे सहेरम्बाम् ॥ 6॥

    அருணாதர ஜித பிம்பாம் ஜகதம்பாம் கமந விஜித காதம்பாம்|
    பாலித ஸுஜந கதம்பாம் ப்ருதுல நிதம்பாம் பஜே ஸஹேரம்பாம் ||6||

    शरणागतजनभरणां करुणावरुणालयां नवावरणाम् ।
    मणिमयदिव्याभरणां चरणाम्भोजातसेवकोद्धरणाम् ॥ 7॥

    சரணாகத ஜநபரணாம் கருணா வருணாலயாம் நவாவரணாம் |
    மணிமய திவ்யாபரணாம் சரணாம் போஜாத ஸேவகோத்தரணாம் ||7||

    नतजनरक्षादीक्षां दक्षां प्रत्यक्षदैवताध्यक्षाम् ।
    वाहीकृतहर्यक्षां क्षपितविपक्षां सुरेषुकृतरक्षाम् ॥ 8॥

    நத ஜன ரக்ஷா தீக்ஷாம் தக்ஷாம் ப்ரத்யக்ஷ தைவதாத்யக்ஷாம் |
    வாஹீ க்ருத ஹர்யக்ஷாம் க்ஷபி தவி பக்ஷாம் ஸுரேஷு க்ருத ரக்ஷாம் ||8||

    धन्यां सुरवरमान्यां हिमगिरिकन्यां त्रिलोकमूर्द्धन्याम् ।
    विहृतसुरद्रुमवन्यां वेद्मि विना त्वां न देवतास्वन्याम् ॥ 9॥

    தந்யாம் ஸுரவரமாந்யாம் ஹிமகிரிகந்யாம் த்ரிலோக மூர்தந்யாம் |
    விஹ்ருத ஸுரத்ருமவந்யாம் வேத்மி விநா த்வாம் ந தேவதாஸ்வந்யாம் ||9||

    एतां नवमणिमालां पठन्ति भक्त्येह ये पराशक्त्याः ।
    तेषां वदने सदने नृत्यति वाणी रमा च परममुदा ॥ 10॥

    ஏதாம் நவமணிமாலாம் படந்தி பக்த்யேஹ யே பராசக்த்யா: |
    தேஷாம் வதநே ஸதநே ந்ருத்யதி வாணீ ரமா ச பரம முதா ||10||

    पातय वा पाताले स्थापय वा सकलभुवनसाम्राज्ये ।
    मातस्तव पदयुगलं नाहं मुञ्चामि नैव मुञ्चामि ॥ 11॥

    பாதய வா பாதாளே ஸ்தாபய வா ஸகல புவன ஸாம்ராஜ்யே |
    மாதஸ்தவ பத யுகலம் நாஹம் முஞ்சாமி நைவ முஞ்சாமி ||11||

    इति अम्बा नवमणि माला सम्पूर्णम् ।
    இதி அம்பா நவமணி மாலா ஸம்பூர்ணம் ।

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  9. ஸ்யாமளா நவரத்ன மாலிகா
    श्यामला नवरत्नमालिका
    ओङ्कारपञ्जरशुकीं उपनिषत्-उद्यान केलि कलकण्ठीं।
    आगम विपिन मयूरीं आर्यां अन्तर्विभावये गौरीं॥ १
    दयमान दीर्घ नयनां देशिक रूपेन दर्शिताभ्युदयां।
    वामकुच निहित वीणां वरदां सङ्गीत मातृकां वन्दे॥ २
    श्याम तनु सौकुमार्यां सौन्दर्यानन्द सम्पत्-उन्मेषां।
    तरुणिम करुणापूरां मदजल कल्लोल लोचनां वन्दे॥ ३
    नखमुख मुखरितवीणा नाद रसास्वाद नवनवोल्लासां।
    मुखं अम्ब मोदयतु मां मुक्ता ताटङ्क मुग्ध हसितां ते॥
    सरिगमपधनिरतां तां वीणा सङ्क्रान्त क्रान्त हस्तां तां।
    शान्तां मृदुल स्वान्तां कुचभरतां तां नमामि शिव कान्तां॥ ५
    अवटु यट घटित चूली तडित ताली पलाश ताटङ्कां।
    वीणा वादन वेळाऽकम्पित शिरसां नमामि मातङ्गीं॥ ६
    वीणा रवानुषङ्गं विकसित मुखाम्बोज माधुरी भृङ्गीं।
    करुणा पूर तरङ्गं कलये मातङ्ग कन्यकापङ्गं॥७
    मणिभङ्ग मेचकाङ्गीं मातङ्गीं नौमि सिद्धमातङ्गीं।
    यौवन वन सारङ्गीं सङ्गीताम्भोरुहानुभव भृङ्गीं॥ ८
    मेचकं आसेचनकं मिथ्या दृष्ट्यान्त मध्यभागं ते।
    मातः तव स्वरूप मङ्गल सङ्गीत सौरभं मन्ये॥ ९
    इति श्रीश्यामला नवरत्नमालिका सम्पूर्णं
    ஓம்கார பஞ்ஜர சுகீம் உபநிஷத் உத்தியான கேளீ களா கண்டீம் ! ஆகம விபின மயூரிம் ஆர்யாம் அந்தர் விபாவயே கௌரீம் !! (1)
    தயமான தீர்க நயனாம் தேசிக ரூபேன தர்ஷிதாப்யுதயாம் !
    வாமகுச நிஹித வீணாம் வரதாம் ஸங்கீத மாத்ருகாம் வந்தே !! (2)
    ஸ்யாம தனு ஸௌகுமார்யாம் ஸௌந்தர்யானந்த ஸம்பத் உன்மேஷாம் !
    தருணிம கருணாபூராம் மதஜல லோசனாம் வந்தே !! (3)
    நகமுக முகரித வீணா நாத ரஸாஸ்வாத நவ நவோல்லாஸாம் !
    முகம் அம்ப மோதயது மாம் முக்தா தாடங்க முக்த ஹஸிதாம் தே!! (4)
    ஸரிகமபத நிரதாம் தாம் வீணா ஸங்க்ராந்த க்ராந்த ஹஸ்தாம் தாம் !
    ஸாந்தாம் ம்ருதுள ஸ்வாந்தாம் குச பரதாம் தாம் நமாமி சிவகாந்தாம் (5)
    அவடுயட கடித சூலீ தடித தாளீ பலாச தாடங்காம் !
    வீணாவாதன வேளா (அ )கம்பித ஸிரஸாம் நமாமி மாதங்கீம் !!(6)
    வீணா ரவானுஷங்கம் விகஸித முகாம்போஜ மாதுரீ ப்ருங்கீம் ! கருணா பூர தரங்கம் கலயே மாதங்க கன்யகா பங்கம் !!(7)
    மணிபங்க மேசகாங்கீம் மாதங்கீம் நௌமி ஸித்த மாதங்கீம் !
    யௌவன வன ஸாரங்கீம் ஸங்கீதாம்போருஹநுபவ ப்ருங்கீம் !!(8)
    மேசகம் ஆஸேசனகம் மித்யா த்ருஷ்ட்யாந்த மத்ய பாகம் தே !
    மாத: தவ ஸ்வரூப மங்கள ஸங்கீத ஸௌரபம் மந்யே !! (9)
    !! இதி ஸ்ரீ ஸ்யாமளா நவரத்ன மாலிகா ஸம்பூர்ணம்

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Bhagavad Gita

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